भगवद गीता का एक और संस्कृत वाक्यांश, ‘कर्मण्येवाधिकारस्ते’ का अर्थ है – आपको अपना कर्तव्य निभाने का अधिकार है। और पूरे श्लोक का अर्थ है – आपको अपना कर्तव्य निभाने का अधिकार है, लेकिन फल पाने का नहीं।
यह सरल संस्कृत वाक्यांश वास्तव में एक पुष्टि नहीं है, बल्कि सही सोच वाले लोगों के लिए एक प्रेरणा है। यह हमें कार्रवाई पर ध्यान केंद्रित करने और परिणाम से आसक्त न होने के महत्व के बारे में जागरूक करता है। उदाहरण के लिए, रोजमर्रा की जिंदगी में जब भी हम कोई खास काम करते हैं, या किसी काम को पूरा करने के लिए अपनी पूरी कोशिश करते हैं, तो हम बदले में कुछ पाने के इरादे से ऐसा करते हैं। यह प्रशंसा, कोई उपहार, कुछ प्रशंसा या बस कुछ मान्यता हो सकती है। लेकिन, जब ऐसा नहीं होता है, तो हम पर विनाश की भावना हावी हो जाती है और सारी प्रेरणा हवा में उड़ जाती है। इसलिए जब आप खुद से कहते हैं ‘कर्मण्येवाधिकारस्ते’, तो आप खुद को समझाते हैं कि अच्छा काम करना आपका कर्तव्य है, और आपको अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन जारी रखना चाहिए।