कुमार ने कहा, “1 अगस्त से कर्नाटक में कहीं भी 130 किलोमीटर प्रति घंटे से अधिक की गति से वाहन चलाने वालों के खिलाफ लापरवाही और खतरनाक ड्राइविंग के लिए एफआईआर दर्ज की जाएगी।” यह नई प्रवर्तन रणनीति किस कानून के दायरे में आती है? भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) – 281, जो 120 किमी/घंटा से अधिक गति से वाहन चलाने को लापरवाही या खतरनाक मानता है।
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नई गति विनियमन कर्नाटक में सभी सड़कों पर लागू होगा, न कि केवल राजमार्गों पर। उदाहरण के लिए, बेंगलुरु-मैसूरु राजमार्ग स्पीड लेजर गन से लैस है और स्वचालित नंबर प्लेट पहचान (एएनपीआर) कैमरे लगाए गए हैं, जिससे पुलिस को रात में भी वाहनों की गति पर नजर रखने और उसे रिकॉर्ड करने में मदद मिलेगी।
यह निर्णय इस महीने की शुरुआत में NICE (नंदी इंफ्रास्ट्रक्चर कॉरिडोर एंटरप्राइज) सड़क पर हुए एक दुखद हादसे के बाद लिया गया है, जिसमें 160 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल रहे वाहन की चपेट में आने से तीन लोगों की जान चली गई थी। इस घटना ने पुलिस का ध्यान खींचा था सुप्रीम कोर्ट की निगरानी समिति सड़क सुरक्षा पर समिति की प्रतिक्रिया के बाद समिति ने राज्य सरकार से तेज गति से वाहन चलाने के खिलाफ और अधिक कड़े कदम उठाने का आग्रह किया है।
वर्तमान में भारत में राष्ट्रीय राजमार्गों पर गति सीमा 100 किमी प्रति घंटा निर्धारित है, जबकि राज्य और अन्य राजमार्गों पर यह सीमा कम है। एक्सप्रेसवे पर अधिकतम स्वीकार्य गति 120 किमी प्रति घंटा है। (पीटीआई से इनपुट)