भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत स्थिति में! विश्व बैंक चालू वित्त वर्ष में भारत की आर्थिक वृद्धि के अपने अनुमान को संशोधित करते हुए इसे 6.6% के पिछले अनुमान से बढ़ाकर 7% कर दिया है।
पिछले हफ़्ते सरकारी आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2024-25 की पहली तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था 6.7% की दर से बढ़ी। मंदी का कारण राष्ट्रीय चुनावों के दौरान सरकारी खर्च में कमी होना था।
इसके बावजूद, भारत ने विश्व की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था का अपना दर्जा बरकरार रखा तथा इसी अवधि में चीन की 4.7% की विकास दर को पीछे छोड़ दिया।
आर्थिक विशेषज्ञों का अनुमान है कि मंदी अस्थायी होगी, क्योंकि घटती मुद्रास्फीति दर और बढ़े हुए सरकारी खर्च से आगामी महीनों में विकास को प्रोत्साहन मिलने की संभावना है।
सकल मूल्य वर्धन (GVA), जिसे अर्थशास्त्री आर्थिक वृद्धि का अधिक सटीक संकेतक मानते हैं, ने अप्रैल-जून तिमाही में पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में 6.8% की वृद्धि दिखाई। यह पिछली तिमाही में दर्ज 6.3% GVA वृद्धि से बेहतर है।
पिछले हफ़्ते सरकारी आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2024-25 की पहली तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था 6.7% की दर से बढ़ी। मंदी का कारण राष्ट्रीय चुनावों के दौरान सरकारी खर्च में कमी होना था।
इसके बावजूद, भारत ने विश्व की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था का अपना दर्जा बरकरार रखा तथा इसी अवधि में चीन की 4.7% की विकास दर को पीछे छोड़ दिया।
आर्थिक विशेषज्ञों का अनुमान है कि मंदी अस्थायी होगी, क्योंकि घटती मुद्रास्फीति दर और बढ़े हुए सरकारी खर्च से आगामी महीनों में विकास को प्रोत्साहन मिलने की संभावना है।
सकल मूल्य वर्धन (GVA), जिसे अर्थशास्त्री आर्थिक वृद्धि का अधिक सटीक संकेतक मानते हैं, ने अप्रैल-जून तिमाही में पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में 6.8% की वृद्धि दिखाई। यह पिछली तिमाही में दर्ज 6.3% GVA वृद्धि से बेहतर है।